(PMMSY) प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना | PM Matsya Sampada Yojana

नीली क्रांति (Blue Revolution) | प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना 2020 | PM Matsya Sampada Yojana in Hindi | Blue Revolution

केंद्र सरकार ने यूनियन बजट 2019-20 को रखते हुए मछुआरा समुदायों के लोगों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) को लॉन्च किया था। पीएम मत्स्य सम्पदा योजना (PM Matsya Sampada Yojana) से मोदी 2.0 सरकार का मुख्य उद्देश्य देश को जलीय उत्पादों के लिए केन्द्रीकरण करके हॉटस्पॉट में बदलना है जिससे मछुआरों की आय में वृद्धि हो सके और यह क्षेत्र और भी ज्यादा फल-फूल सके। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल बैठक ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। इस सरकारी योजना से देश में मछलीपालन या फिर जलीय उत्पादों के क्षेत्र में जो भी व्यक्ति काम करते हैं उनको राहत मिलेगी।

पीएम मत्स्य सम्पदा योजना नीली क्रांति से मत्स्य पालन क्षेत्र और जलीय कृषि को बढ़ावा मिलेगा जिससे जलीय क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ाने में आसानी होगी। मत्स्य सम्पदा योजना से व्यापार को और अधिक बढ़ाने के लिए ऋण की पहुँच को मछुआरा समुदायों तक आसान बनाया जाएगा। मोदी सरकार सभी मछुआरों को किसानों के लिए चल रही कल्याणकारी योजनायें और समाज कल्याण योजनाओं (Pradhan mantri Farmer Welfare & Social Security Schemes) के अंतर्गत लाना चाहती है जिससे दुर्घटना की स्थिति में बीमा कवरेज की राशि को आसानी से उन तक पहुंचाया जा सके।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना 2020 के कार्यान्वन में कुल लागत 20,050 करोड रुपए की है। जिसमें केन्द्र 9,407 करोड रूपए, राज्यों की हिस्सेदारी 4,880 करोड रुपए तथा लाभार्थियों की हिस्सेदारी 5763 करोड रुपए की होगी। पहले इस योजना को 2020 तक ही लागू करने का विचार था पर अब इसे वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा।



प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना 2020

प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने इस पीएम मतस्य संपदा योजना (PM Matsya Sampada Scheme) को नीली क्रांति (PM Blue Revolution) का नाम दिया है। जिसके सफलतापूर्वक कार्यान्वन के लिए एक अलग से विभाग, मंत्रालय भी बनाया गया है। वित्तीय वर्ष 2020 तक सरकार ने 15 मिलियन टन के मछ्ली उत्पादन का लक्ष्य रखा है जिसका नीली क्रांति (PM Blue Revolution) के अंतर्गत इम्प्लीमेंटेशन किया जाएगा।

एफआईडीएफ राज्य सरकार, सहकारी समितियों, व्यक्तियों और उद्यमियों को रियायती दरों पर वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत मात्स्यिकी विभाग के ढ़ांचे का निर्माण किया जाएगा।। इसके तहत प्राइस चेन को स्ट्रॉंग बनाया जाएगा और जरूरी कमियों का निपटारा किया जाएगा। जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिकीकरण, पता लगाने की योग्यता, उत्पादन, उत्पादकता, पैदावार प्रबंध और गुणवत्ता आदि के ऊपर नियंत्रण कैसे किया जाये शामिल हैं।

(PMMSY) मत्स्य संपदा योजना मुख्य बिंदु

  1. उत्पादन और उत्पादकता की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना।
  2. अवसंरचना और उत्पादन बाद प्रंबधन का निर्माण करना।
  3. मत्स्य पालन प्रबंधन और नियामक फ्रेमवर्क तैयार करना।

PMMSY Scheme Implementation

  • इस परियोजना में 100 प्रतिशत वित्तीय जरुरतों की पूर्ति केन्द्र सरकार की ओर से की जाएगी। इसमें लाभार्थी वर्ग से जुडी गतिविधियों को चलाने का काम पूरी तरह से राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड सहित केन्द्र सरकार का होगा। इसमें सामान्य लाभार्थियों वाली परियोजना का 40% जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति तथा महिलाओं से जुडी परियोजना का 60% प्रतिशत वित्त पोषण केन्द्र सरकार करेगी।
  • इसके तहत पूर्वोत्तर तथा हिमालयी क्षेत्र वाले राज्यों में लागू होने पर 90 प्रतिशत खर्च केन्द्र और 10 फीसदी खर्च राज्य सरकारें उठाएंगी।
  • अगर पूर्वोत्तर तथा हिमालयी क्षेत्रों के अलावा यह योजना देश में अन्य राज्यों में शुरू होती है तो केन्द्र और संबधित राज्यों की हिस्सेदारी क्रमश 60 और 40 प्रतिशत की होगी।
  • केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू होने पर पूरा का पूरा खर्च यानि 100% केंद्र सरकार वहन करेगी।

PM Matsya Sampada Yojana Eligibility

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ लेने के लिए उम्मीदवारों के पास निम्न्लिखित पात्रता एवं योग्यता होनी जरूरी है:

  • मछुआरा समुदाय के लोग।
  • उम्मीदवार जो जलीय कृषि कर रहे हैं या फिर इच्छुक हैं।
  • वे मछुआरे जो किसी तरह की प्राकृतिक आपदा से ग्रसित हैं।
  • वे व्यक्ति जो मछलीपालन के अलावा अन्य जलीय जीवों की खेती करना चाहते हैं।




PM Matsya Sampada Yojana के लाभ

  1. मत्स्य पालन क्षेत्र में पहले कुछ कमियाँ थी जिनके ऊपर कभी गौर नहीं किया गया ऐसी गंभीर कमियों को दूर क्यी जाएगा। जिससे इस क्षेत्र की पूरी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल किया जा सके।
  2. पहले मत्स्य पालन क्षेत्र में इन कमियों को दूर करके 9 प्रतिशत की सालाना दर से वृद्धि के साथ 2024-25 तक 22 मिलियन मेट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने में आसानी होगी।
  3. मत्स्य पालन के लिए गुणवत्ता युक्त बीज हासिल करने तथा मछली पालन के लिए बेहतर जलीय प्रबंधन को बढावा मिलेगा।
  4. मछली पालन के लिए आवश्यक अवसंरचना और मजबूत मूल्य श्रृंखला विकसित की जा सकेगी।
  5. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन से लोगों को सीधे या परोक्ष रूप में जोड़ा जाएगा जिससे सभी लोगों के लिए रोजगार और आय के बेहतर अवसर खुलेंगे।
  6. मछली पालन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी जिससे मछली उत्पाद बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।
  7. वर्ष 2024 तक मछली पालन से जुडे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।
  8. मछली पालन क्षेत्र तथा इससे जुडे किसानों और श्रमिकों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।

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